Saturday, June 30, 2012

**********सुनने और सुनकर छौड़ देने के बीच कुछ तो है, जो खास है। **********

झाँकती निगाहे

    आज के रास्ते के दौरान बचपन की वो झलक दौबारा से सामने आ गई । एक करीब चार से पाँच साल का एक बच्चा बस की खिड़की वाली सीट पर बैठने की जिद में खुद के लिए एक खास जगह की डिमांड लिए हुये तैयार था। अपने साथ वालो के हाथो को रोने मचलने के साथ छौड़, उसने अपने लिए बस की खास खिड़की वाली सीट मूलताबी कर ली जहां से वो शहर को किसी लुफ्त के साथ देख सकता था। उस दौरान बस की खिड़की कोई रंग मंच और बच्चा ,बच्चे की झाँकती निगाहे किसी दर्शक की भूमिका रच रही थी।