Saturday, September 17, 2011

मेरा नंबर कब आएगा...

मेरा नंबर कब आएगा आज गुप्ता जी के घर हुमेशा की तरह जमावड़ा तैयार होने लगा था । लोग अपने-अपने घरो से निकलते, जिसमे ज्यादा संखिया औरतों की थी और गुप्ता जी की घर की चौखट पर आकार जमा होने लगते । इतने गुप्ता जी की पत्नी एक लाल रंग का थैला अपने हाथ में लेकर आई । और एक कॉपी और पेन भी उनके हाथो में था । कुछ लोगो का वहाँ आना उस जगाह को तैयार कर चुका था, पर अभी भी सबकी अनहो में किसी के आने और जुड़ने का इंतेजार था, शायद सभी नहीं आए थे । बड़ो की इस महफ़ील में बच्चे भी शामिल थे । जो अपनी आवाज की गूंज के साथ सभी को जमा करने का काम कर रहे थे सभी के घर जाते और उसे आने के लिए कह देते । उस जगह में बच्चे उस वक्त बुलाकर लाने वाले पोस्टमेन की तरह ही थे । पूरी गली इस वक्त एक ही आवाज़ में थी “अरे पर्ची खुल रही हैं, भूल गए क्या आज एक तारिक हैं, पर्ची खुलने वाली है जल्दी आओ ।” और बोलकर आगे निकाल जाते । सभी लोग धीरे-धीरे गुप्ता जी की चौखट के सामने जमा हुए और कुछ खात बिछाकर, कुर्सी लगाकर, और कुछ जमीन पर बैठ गए । और अभी के जमा हो जाने तक रोजाना की बाटो में शरीक हो गए । अब तक सभी लोग आ गए थे खास कर वो जिनहोने पर्ची डाल राखी थी । अब गुप्ता जी की पत्नी अपनी साड़ी को समेटते हुये अपने चबूतरे पर बैठ गई और लाल रंग के बेग के अंदर रखी परचियाँ बाहर निकाली । सभी को कुछ बोलने के साथ अपने हाथो में परचियो को हिलाते हुए जमीन पर पटक दिया । सभी की नज़रे जमीन पर पड़ी परचियो पर गड़ी थी । आस-पास की टोलि में से एक बच्चे को बुलाया और एक पर्ची उठाने को बोला । बच्चे खास इसी लिए तो जमावड़ा लगते हैं वहाँ । अपनी-अपनी सोच में सब खोये थे सोच थी की आज मेरी पर्ची खुल जाये शायद इस बार बहुत खर्च था उन पर हुममेश की तरह और निगाहे सभी की जमीन पर । बच्चे ने भी अपनी लड़खड़ाती उँगलियो से फाटक से दो पर्ची उठा ली और सभी लोग बोल पड़े बेटा एक पर्ची तो वही उसने बाकी पर्ची जमीन पर वापस छौड़ दी और एक अपने हाथ में राहक ली । गुप्ता जी की पटनी ने अपने हाथो में वो पर्ची उससे ली जहां उस बच्चे का काम वहीं खतम हो गया और वो दौबारा उस जघ का हिस्सा बन गया जहां वो पहले था । गुप्ता जी की पत्नी हसी मज़ाक करते हुये पर्ची पर लिखा नाम सभी के बीच बोल दिया । और पर्ची फाड़ कर उसका नाम अपनी कॉपी में दर्ज कर लिया । जिससे उन्हे ये पता रहे की पर्ची किस-किस की खुल चुकी हैं । ये तो सिर्फ उनकी फ़ार्मैलिटि थी किसकी पर्ची खुल चुकी हैं और किसकी खुलना बाकी हैं ये तिह उनकी जुबान पर था । अब धीरे धीरे सभी लोग घर को लौटते नजर आए और शायद यही सोच रहे होंगे मेरा नंबर कब आएगा ।

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